एक छोटे से गाँव में

 शीर्षक: “सच्ची दौलत”

एक छोटे से गाँव में आरव नाम का लड़का रहता था। वह बहुत होशियार तो था, लेकिन उसके मन में एक कमी थी—वह हमेशा दूसरों की चीज़ों से जलता था।

एक दिन गाँव में रहने वाले एक बूढ़े लकड़हारे रामू काका ने आरव को उदास देखा और पूछा,
“क्या हुआ बेटा? इतने परेशान क्यों हो?”

आरव बोला, “काका, सबके पास अच्छी चीज़ें हैं। किसी के पास बड़ा घर है, किसी के पास बढ़िया कपड़े… मेरे पास तो कुछ भी नहीं।”

रामू काका मुस्कुराए और बोले, “अच्छा, मेरे साथ जंगल चलो। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ।”

दोनों जंगल पहुँचे। वहाँ विभिन्न तरह के पेड़ थे—कुछ छोटे, कुछ बड़े, कुछ फलदार, कुछ सूखे।

रामू काका बोले, “इन सब पेड़ों को देखो। क्या तुम सोचते हो कि आम का पेड़ नीम से जलता होगा? या बरगद बांस से?”

आरव ने सिर हिलाया, “नहीं।”

काका बोले, “क्योंकि हर पेड़ जानता है कि उसकी अपनी कीमत है। नीम दवा देता है, आम फल देता है, और बरगद छाया देता है। हर एक अपनी जगह खास है।”

आरव ने धीरे-धीरे समझते हुए कहा, “मतलब… मुझे भी खुद को दूसरों से नहीं, खुद से तुलना करनी चाहिए?”

रामू काका ने प्यार से कहा, “हाँ बेटा। सच्ची दौलत यह नहीं कि दूसरों के पास क्या है… बल्कि यह है कि तुम्हारे पास क्या है — तुम्हारे गुण, तुम्हारी मेहनत और तुम्हारा सच्चा मन।”

उस दिन के बाद आरव ने कभी किसी से जलन नहीं की। वह मेहनत करने लगा और धीरे-धीरे अपनी पहचान खुद बना ली।


✨ नैतिक शिक्षा:
“दूसरों से मत जलो; हर व्यक्ति की अपनी ख़ासियत होती है। सच्ची दौलत हमारे गुण और कर्म होते हैं।”



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